इस कार्यक्रम में कलेंडर के अविष्कार को दर्शाया गया हैं और बताया गया हैं कि किस प्रकार ऋतुओं , सूर्य और चन्द्रमा की स्थिति को देख कर समय का अंदाज़ लगाया जाता था और इन्ही स्थितियों को देख कर वर्ष , महीने व दिन की खोज की गयी। साथ ही इस कार्यक्रम में महीनो में दिन की संख्या के निर्धारण को भी दर्शाया गया हैं
सफर कलेंडर का: